रविवार, 21 जनवरी 2018

सौंफ

सौंफ एक उपयोगी हर्ब है जिसका प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है. इसकी विशेष सुगंध होती है. सुगंध की वजह से ही इसे मसालों में प्रयोग करते हैं. पान के साथ भी सौंफ का इस्तेमाल होता है.
ये रबी की फसल है. इसके बोने का समय अक्टूबर - नवम्बर है. मार्च और अप्रेल तक इसका बीज पककर तैयार हो जाता है. नयी सौंफ के बीज हरे रंग के होते हैं. कुछ समय बाद इनका रंग पीला - भूरा पड़  जाता है. बाजार में सौंफ को हरे रंग से रंगकर बेचते है जो सेहत के लिए हानिकारक है.

सौंफ का स्वाभाव ठंडा है. खाने के बाद सौंफ का इस्तेमाल मुंह की दुर्गन्ध दूर करने के लिए किया जाता है. सौंफ पेट के दर्द और डिसेन्ट्री को दूर करती  है. डिसेंट्री के लिए सौंफ को भूनकर और उसमें बराबर मात्रा में कच्ची सौंफ मिलकर पाउडर बनाकर पानी के साथ एक चमच दिन में 3 से 4 बार खाने से आराम मिलता है.
सौंफ का इस्तेमाल सामान मात्रा में बादाम के साथ रात  को सोते समय दूध के साथ करने से मेमोरी ठीक रहती है और ये ब्रेन टॉनिक का काम करता है.
सौंफ को सना के साथ मिलकर प्रयोग किया जाता है. इससे सना का हानिकारक प्रभाव समाप्त हो जाता है और सना नुक्सान नहीं करती.
सौंफ आँखों के रोगों में फायदेमंद है. खाने के बाद सौंफ का नियमित इस्तेमाल न केवल पेट के विकारों को दूर रखता है बल्कि आँखों को भी फ़ायदा करता है.
सौंफ अपने ठन्डे स्वाभाव के कारण उन लोगो को नुकसान करती है जो ठंडी चीजों का इस्तेमाल नहीं कर सकते. ऐसे लोगों को सौंफ के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए.


शनिवार, 20 जनवरी 2018

कैलेन्डुला

कैलेन्डुला वार्षिक पौधा है जो सजावट के लिए बगीचों और घरों  उगाया जाता है. कैलेन्डुला को पॉट मैरीगोल्ड या विलायती गेंदा भी कहते हैं. ये एक बहुत कॉमन पौधा है जो फूलों के शौक़ीन लोगों के गमलों और बगीचों में मिल जाता है.
कैलेन्डुला खुली धूप  पसंद करता है. दिसम्बर से लेकर फरवरी - मार्च तक इसके फूल खिलते हैं. गर्मी की धूपों में ये समाप्त हो जाता है.
कैलेन्डुला स्किन की बड़ी दवा है. कैलेन्डुला के नाम से बाज़ार में जाने कितनी क्रीमें, मरहम, लोशन और अन्य सौंदर्य उत्पाद उपलब्ध हैं. कैलेन्डुला में स्किन के घावों को तेज़ी से भरने की शक्ति है. ये स्किन को कान्ति या ग्लो प्रदान करता है. जलने, कटने, स्किन पर दाने, मुहासे, खुजली में लाभ करता है. इसके टिंक्चर के इस्तेमाल से घाव से बहता खून रूक जाता है. कैलेन्डुला पीले और गहरे पीले रंग में पाया जाता है. इसके फूल बहुत खूबसूरत होते हैं. इसका स्वाद कुछ कड़वा और कसैला होता है. लेकिन कैलेन्डुला खाया जा सकता है. इसके फूलों का पीला रंग केसर के स्थान पर प्रयोग किया जाता है. अल्कोहल को रंगने, कुछ दवाओं को रंग देने में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
कैलेन्डुला के फूलों का रस, गुलाब के फूलों का रस अल्कोहल और थोड़े पानी में मिलकर फ़्रिज में रखदें. रोज़ाना इस मिक्सचर को  चेहरे पर लगाने से मुहासे नहीं निकलते और चेहरा चमकने लगता है.
कैलेन्डुला के फूलों को तेल में पकाकर ये तेल बालों में लगाने से उनकी चमक बढ़ता है. रूसी को समाप्त करता है.
कैलेन्डुला के फूलों को छाया में सुखाकर रखलें. इन फूलों को टी के रूप में 3 से 5 ग्राम की मात्रा में प्रयोग किया जा सकता है. कैलेन्डुला टी महिलाओं में हार्मोन के संतुलन को ठीक रखती है. ये टी पेट के लिए भी फायदेमंद है.
कैलेन्डुला के फूलों के टिंक्चर से गार्गल करने से दांतो के दर्द में और मुंह के छालों में आराम मिलता है. कैलेन्डुला बहुत बड़ी एंटीसेप्टिक औषधि है.
कुछ लोगों को कैलेन्डुला के प्रयोग से एलर्जी हो सकती है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी ये हानिकारक है. 

शनिवार, 6 जनवरी 2018

सना

सना, या सना-ए  मक्की एक गर्म इलाके में पाया जाने वाला पौधा है. इसके लिए रेगिस्तानी भूमि और शुष्क वातावरण की ज़रुरत होती है. दवाओं में सऊदी अरब के मक्का शहर में पैदा होने की वजह से सना की अच्छी क्वालिटी मक्का की सना या सना-ए मक्की कहलाती है और यही दवाओं में प्रयोग होती है. देसी तौर पर सना को भारत में भी उगाया जाता है और दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है.

सना की पत्तियां ही दवा में इस्तेमाल की जाती हैं. इसकी पत्तियां मेहँदी  की  पत्तियों से मिलती जुलती लेकिन मेहँदी  की पत्तियों से बड़ी होती हैं. सना कब्ज़ दूर करती है. इसका इस्तेमाल रेचक के रूप  में किया जाता है. सना पेट के रोगों के लिए बने चूर्ण में डाली जाती है.
सना आयु को बढाती है. शरीर पर झुर्रियां नहीं पड़ने देती. इसकी पत्तियों के प्रयोग से पहले इसकी डंडियां, बीज वाली फलियां आदि निकल देना चाहिए सना की पत्तियों के डंठल पेट में मरोड़ और दर्द पैदा करते हैं.
सना पेट की गैस में लाभ करती है. सना का इस्तेमाल एक अकेली दवा के रूप में नहीं किया जाता. इसके साथ बराबर मात्रा में सौंफ मिलकर इस्तेमाल की जाती है. अकेली सना पेट में दर्द पैदा कर सकती है.
इस हर्ब की अजीब बात है की सना की केवल ढाई पत्तियां थोड़े पानी में पकाकर काढ़े की तरह रात को पीने से कब्ज़ दूर हो जाता है.

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