खोकली एक जाना माना हर्ब है जो जंगलों, खेतों और बागीचों में उगता है. इसके उगने और फलने फूलने का समय अप्रैल से सितंबर, अक्टूबर तक है. इसके पत्तों का रंग हरा, खिलता हुआ होता है और ऊपर से देखने पर इसका पौधा छत्तेदार या छतरी के आकर में दिखाई देता है.
इसके छोटे फूल और छोटे फल जिसमें बीज होते हैं पौधे के तने पर निचली तरफ लगते हैं. इस पौधे की पत्तियां कुछ लोग सब्ज़ी के रूप में खाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इसके पौधे में साइनाइड का अंश भी होता है इसलिए इसका इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए.
खोकली का आम इस्तेमाल फेफड़ों से खून आने में रोकने के लिए किया जाता है. इस पौधे की गुणवत्ता देखते हुए होम्योपैथी में भी इसकी दवा बनायी गयी जो एकलिएक देसी दवा कंपनी में फा इंडिका के नाम से प्रसिद्ध है. सुखी खांसी, फेफड़ों से खून आना, दुबला होते जाना, सुबह उठने पर शरीर में ताकत न महसूस होना आदि इसके लक्षण हैं.
इस लक्षणों के कारण इसे टीबी के इलाज में प्रसिद्धि मिली. डाक्टर की सलाह से अन्य दवाओं के साथ इस दवा के मदर टिंक्चर का इस्तेमाल टीबी के इलाज में कारगर साबित हुआ है. ये दवा मदर टिंक्चर के आलावा पोटेंसी में 10 एम तक उपलब्ध है.
देसी इलाज में त्वचा को रोगों में जैसे खुजली, दाद, खुश्की आदि में इसके पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ मिलता है. पत्तों को पीसकर सर में लगाने से बालों की खुश्की/रुसी जाती रहती है.
इसके पत्तों का सावधानीपूर्ण इस्तेमाल कैंसर जैसे भयानक रोग से बचा सकता है, इसमें कैंसररोधी, शोथरोधी और रक्तस्राव को रोकने के गुण हैं.
ये एक अजीब हर्ब है. इसकी सूखी जड़ों की ओर बिल्ली उसी तरह आकर्षित होती है जैसे बिलाइलोटन नाम के हर्ब पर बिल्ली लोटती है.