बुधवार, 18 मई 2022

खोकली (Acalypha indica)

 खोकली एक जाना माना हर्ब है जो जंगलों, खेतों और बागीचों में उगता है. इसके उगने और फलने फूलने का समय अप्रैल से सितंबर, अक्टूबर तक है. इसके पत्तों का रंग हरा, खिलता हुआ होता है और ऊपर से देखने पर इसका पौधा छत्तेदार या छतरी के आकर में दिखाई देता है. 


इसके छोटे फूल और छोटे फल जिसमें बीज होते हैं पौधे के तने पर निचली तरफ लगते हैं. इस पौधे की पत्तियां कुछ लोग सब्ज़ी के रूप में खाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इसके पौधे में साइनाइड का अंश भी होता है इसलिए इसका इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए. 
खोकली का आम इस्तेमाल फेफड़ों से खून आने में रोकने के लिए किया जाता है. इस पौधे की गुणवत्ता देखते हुए होम्योपैथी में भी इसकी दवा बनायी गयी जो एकलिएक देसी दवा कंपनी में फा इंडिका के नाम से प्रसिद्ध है. सुखी खांसी, फेफड़ों से खून आना, दुबला होते जाना, सुबह उठने पर शरीर में ताकत न महसूस होना आदि इसके लक्षण हैं. 
इस लक्षणों के कारण इसे टीबी के इलाज में प्रसिद्धि मिली. डाक्टर की  सलाह से अन्य दवाओं के साथ इस दवा के मदर टिंक्चर का इस्तेमाल टीबी के इलाज में कारगर साबित हुआ है. ये दवा मदर टिंक्चर के आलावा पोटेंसी में 10 एम तक उपलब्ध है. 
देसी इलाज में त्वचा को रोगों में जैसे खुजली, दाद, खुश्की आदि में इसके पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ मिलता है. पत्तों को पीसकर सर में लगाने से बालों की खुश्की/रुसी जाती रहती है. 
इसके पत्तों का सावधानीपूर्ण इस्तेमाल कैंसर जैसे भयानक रोग से बचा सकता है, इसमें कैंसररोधी, शोथरोधी और रक्तस्राव को रोकने के गुण हैं. 
ये एक अजीब हर्ब है. इसकी सूखी जड़ों की ओर बिल्ली उसी तरह आकर्षित होती है जैसे बिलाइलोटन नाम के हर्ब पर बिल्ली लोटती है. 

बुधवार, 19 जनवरी 2022

हालिम Garden Cress Seeds

 हालिम एक बीज है जो दवाओं और घरेलू रेसिपी में इस्तेमाल होता है. ये लाल रंग के छोटे बीज होते हैं. बाज़ार में हालिम, हलीम, हालों, चैनसुर, चंद्रशूर के नाम से मिल जाते हैं. ये गार्डेन क्रिस के बीज हैं जो सलाद के लिए उगाया जाता है. इस पौधे की पत्तियों का स्वाद तीखा होता है. इसके  मिर्च जैसे  स्वाद के कारन इसे सलाद में और खाने की डिश में इस्तेमाल किया जाता है. 

हालिम के बीजों को अगर पानी में भिगोया जाए  तो ये फूल जाते हैं और लेसदार/चिपचिपे हो जाते हैं. बिलकुल इसी तरह जैसे पानी में भिगोने पर इसबगोल बीज या इसबगोल का सत चिपचिपा हो जाता है. हालिम के बीजों को इस्तेमाल करने से पहले इसे कुछ देर पानी में भिगो दिया जाता है और फिर इसे दूध में या पानी में मिलकर पिया जाता है. कहते हैं की इसमें इतने गुण हैं कि इसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है. एक बार में हालिम के बीज एक से दो चमच तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं. ये कैल्शियम का खज़ाना है. इसमने बहुत से मिनरल और आइरन है. अनेकों विटामिन हैं. इसके इस्तेमाल से खून की कमी दूर होती है. शरीर को बल मिलता है. हालिम का स्वभाव गर्म है. प्रसूता महिलाओं को इस्तेमाल कराने  से शरीर की अच्छी सफाई कर देता है और प्रसूत की बीमारियां नहीं होतीं. गर्भवती महिलाओं को इसके प्रयोग से नुक्सान हो सकता है. 


सर्दी के दिनों में गर्म दूध के साथ हालिम का इस्तेमाल रात  को सोते समय करने से सर्दी को रोगों, ज़ुकाम, खांसी से बचाव रहता है. लेकिन हालिम के बीज को पहले पानी या दूध में लगभग एक घंटा भिगोकर इस्तेमाल करें. कभी भी इस दवा को सूखा नहीं खाना  चाहिए. 

अपने चिपचिपे स्वाभाव के कारण हालिम आंतों की खुश्की दूर कर देता है. कब्ज़ में  भी राहत दिलाता है. बच्चों को देने से लम्बाई बढ़ने में मददगार साबित होता है. 

इसका सलाद भी स्वादिष्ट होता है. लेकिन इसे मिर्च की तरह ही कम मात्रा में खाना चाहिए. अधिक इस्तेमाल से पेट में जलन पड़ सकती है और स्किन की बीमारियां हो सकती हैं. 

हालिम का प्रयोग केवल खाने में ही नहीं किया जाता. ये लगाने की भी दवा है. मोच आने पर ये हड्डी में बाल पड़ जाने पर हालिम, हल्दी और चूने का पेस्ट बनाकर, उसमें थोड़ा सा साबुन मिलाकर पकाएं और मोच/ चोट  की जगह हल्का गर्म लगाकर पट्टी बांध दें. कहते हैं यदि हड्डी को सेट करके ये प्रयोग किया जाए तो टूटी हड्डी भी जुड़ जाती है.  


रविवार, 16 जनवरी 2022

सुदाब या तितली का पौधा

तितली का पौधा रबी की फसल में गेहूं के खेतों में उगता है. इसकी पत्तियां छोटी इमली के पत्तों से मिलती जुलती लेकिन आगे से गोलाई लिए होती हैं. इसमें पीले रंग की फूल खिलते हैं. इसके बीज कवर के अंदर बंद होते हैं. बीज सूखने पर चटक कर  बीज गिर जाते हैं और अगले साल जमने के लिए ज़मीं इन्हें सुरक्षित रख लेती है. 

इसका दूसरा नाम सुदाब है. इसका पंचांग बर्गे सुदाब के नाम से देसी दवा के रूप में मिल जाता है. इसको अंग्रेजी भाषा में  Common Rue कहते हैं. इसका साइंटिफिक नाम Ruta Graveolens है.  

Ruta Graveolens को होम्योपैथी में भी इस्तेमाल किया जाता है. इसको हकीम बर्गे  सुदाब  जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल करते हैं. हकीमों के लिए ये आम तौर से इस्तेमाल होने वाली दवा है. जोड़ों के दर्द, खासकर कलाई और उंगलियों के दर्दों में बहुत कारगर है. इसका स्वभाव गर्म है. गर्म मिज़ाज होने के कारण  इसके प्रयोग से रुका हुआ मासिक खुल जाता है. गर्भवती महिलाओं को इसके प्रयोग से बचना चाहिए. 

देहाती लोग बरसों से इसके दर्द निवारक प्रयोग से अच्छी तरह वाकिफ हैं. वह इसके पत्तों का पेस्ट बनाकर शहद के साथ, थोड़ा सा गर्म करके जोड़ों पर लगाते  हैं जिससे दर्दों में बहुत आराम मिलता है. इसके पंचांग को तेल  में जलाकर , छानकर   प्रयोग करने से भी दर्द ठीक हो जाता है 

कहते हैं की चेहरे को लकवा  मार जाए तो ताज़ा सुदाब की पत्तियों का रस निकलकर नाक में दो बून्द टपकाने  से लकवा रोग में फ़ायदा होता है। 

सुदाब त्वचा पर खराब असर दाल सकता है. कभी इसके प्रयोग से एलर्जी हो जाती है. त्वचा पर छाले  पड़  जाते हैं. इसलिए सुदाब या तितली के पौधे को  मामूली पौधा न समझें. इसका  प्रयोग हकीम  की निगरानी में ही करे तभी  नुकसान से बचे रहेंगे. 

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