नीबू को कौन नहीं जानता और कौन ऐसा है जिसने नीबू कभी इस्तेमाल नहीं किया. नीबू एक जाना माना फल है. ये ऐसा पौधा है जिसकी बहुत सी किस्में हैं.
आम तौर पर जो नीबू बाजार में मिलता है उसे देसी नीबू या कागज़ी नीबू कहते हैं. कागज़ी इस लिए की इसका छिलका कागज़ के समान पतला होता है. इसका रंग हल्का पीला होता है जो खुद में नीबू के रंग के नाम से प्रसिद्ध है.
नीबू की दूसरी किस्में - जम्भीरी नीबू जो बड़े आकार के होते हैं. बारामासी नीबू जिसमें साल के हर मौसम में फल आते हैं. अण्डाकार नीबू के अलावा भी बहुत सी किस्में हैं. नीबू की पत्तियों में भी नीबू की सी खुशबु आती है. नीबू की सुगंध किसी को भी ख़राब नहीं लगती.
नीबू का प्रयोग मीट मछली की डिश में मीट की विशेष गंध समाप्त करने के लिए किया जाता है. नीबू दुर्गन्ध को दूर करता है. मीट मछली की डिश बनाने में मॅरिनेट करने के लिए इस्तेमाल होता है. इसके टुकड़े काटकर कमरे में रखने से हवा शुद्ध हो जाती है और कमरे में अच्छी सुगंध आती है.
नीबू का गुण अम्लीय है. ये हल्का एसिड है. इसे सलाद, शिकंजी, शरबत, में इस्तेमाल किया जाता है.
नीबू जी मिचलाने में लाभकारी है. इसको नमक लगाकर या बिना नमक के चाटने से जी मिचलाना और उल्टी रुक जाती है. नीबू निर्जलीकरण या डिहाइड्रेशन से बचाता है. पानी में नीबू निचोड़कर उसमें थोड़ा नमक मिलाकर थोड़ा थोड़ा पिलाने से फ़ायदा होता है.
जब इमरजेंसी में कोई दवा पास न हो और डाक्टर भी आसानी से न मिल सकता हो तो ये साधारण प्रयोग उल्टी दस्त के मरीज़ की जान बचा सकता है.
नीबू का बीज पत्थर पर घिसकर पिलाने से भी उल्टी रुक जाती है. ये अचूक प्रयोग है.
नीबू में ब्लड को डिटॉक्स करने या खून साफ़ करने के गुण हैं. विशेषकर खून में से ये अत्यधिक पित्त को घटाता है. इसलिए ये लिवर के रोगों में जहां ब्लड में पित्त की मात्रा बढ़ गयी हो अचूक दवा है.
सुबह खाली ली पेट नीबू का गर्म पानी के साथ इस्तेमाल चुस्ती फुर्ती लता है. वज़न कम करने में सहायक है.
नीबू का छिलका अंदर की तरफ से दांतों और मसूढ़ों पर मलने से गंदगी को साफ़ करता है और मसूढ़ों की सूजन घटाता है. ये शुरू के पायरिया और दांतों से खून आने में मुफीद है.
अजीब बात है की नीबू एसिड होते हुए भी एसिडिटी के लिए अचूक दवा है. एसिडिटी के मरीज़ों के लिए ज़रूरी है की वह खाना खाने से ठीक आधा घंटा पहले आधा कप पानी में आधा नीबू निचोड़कर पी लें. ऐसा करने से एसिडिटी से निजात मिल जाती है.
ये प्रयोग उन लोगों पर आज़माया जा चुका है जो एसिडिटी के पुराने मरीज़ थे और एन्टासिड जेल और टैबलेट खाकर तंग आ चुके थे.
आम तौर पर जो नीबू बाजार में मिलता है उसे देसी नीबू या कागज़ी नीबू कहते हैं. कागज़ी इस लिए की इसका छिलका कागज़ के समान पतला होता है. इसका रंग हल्का पीला होता है जो खुद में नीबू के रंग के नाम से प्रसिद्ध है.
नीबू की दूसरी किस्में - जम्भीरी नीबू जो बड़े आकार के होते हैं. बारामासी नीबू जिसमें साल के हर मौसम में फल आते हैं. अण्डाकार नीबू के अलावा भी बहुत सी किस्में हैं. नीबू की पत्तियों में भी नीबू की सी खुशबु आती है. नीबू की सुगंध किसी को भी ख़राब नहीं लगती.
नीबू का प्रयोग मीट मछली की डिश में मीट की विशेष गंध समाप्त करने के लिए किया जाता है. नीबू दुर्गन्ध को दूर करता है. मीट मछली की डिश बनाने में मॅरिनेट करने के लिए इस्तेमाल होता है. इसके टुकड़े काटकर कमरे में रखने से हवा शुद्ध हो जाती है और कमरे में अच्छी सुगंध आती है.
नीबू का गुण अम्लीय है. ये हल्का एसिड है. इसे सलाद, शिकंजी, शरबत, में इस्तेमाल किया जाता है.
नीबू जी मिचलाने में लाभकारी है. इसको नमक लगाकर या बिना नमक के चाटने से जी मिचलाना और उल्टी रुक जाती है. नीबू निर्जलीकरण या डिहाइड्रेशन से बचाता है. पानी में नीबू निचोड़कर उसमें थोड़ा नमक मिलाकर थोड़ा थोड़ा पिलाने से फ़ायदा होता है.
जब इमरजेंसी में कोई दवा पास न हो और डाक्टर भी आसानी से न मिल सकता हो तो ये साधारण प्रयोग उल्टी दस्त के मरीज़ की जान बचा सकता है.
नीबू का बीज पत्थर पर घिसकर पिलाने से भी उल्टी रुक जाती है. ये अचूक प्रयोग है.
नीबू में ब्लड को डिटॉक्स करने या खून साफ़ करने के गुण हैं. विशेषकर खून में से ये अत्यधिक पित्त को घटाता है. इसलिए ये लिवर के रोगों में जहां ब्लड में पित्त की मात्रा बढ़ गयी हो अचूक दवा है.
सुबह खाली ली पेट नीबू का गर्म पानी के साथ इस्तेमाल चुस्ती फुर्ती लता है. वज़न कम करने में सहायक है.
नीबू का छिलका अंदर की तरफ से दांतों और मसूढ़ों पर मलने से गंदगी को साफ़ करता है और मसूढ़ों की सूजन घटाता है. ये शुरू के पायरिया और दांतों से खून आने में मुफीद है.
अजीब बात है की नीबू एसिड होते हुए भी एसिडिटी के लिए अचूक दवा है. एसिडिटी के मरीज़ों के लिए ज़रूरी है की वह खाना खाने से ठीक आधा घंटा पहले आधा कप पानी में आधा नीबू निचोड़कर पी लें. ऐसा करने से एसिडिटी से निजात मिल जाती है.
ये प्रयोग उन लोगों पर आज़माया जा चुका है जो एसिडिटी के पुराने मरीज़ थे और एन्टासिड जेल और टैबलेट खाकर तंग आ चुके थे.