मंगलवार, 2 अक्टूबर 2018

सुगंधित वृक्ष यूकेलिप्टस

 यूकेलिप्टस एक सुगंधित वृक्ष है. ये वास्तव में आस्ट्रेलिया का वृक्ष है. इसकी बहुत सी प्रजातियां पायी जाती हैं. 1980 के दशक में जब हरित क्रांति के नाम पर पौधे लगाने का काम भारत में शुरू किया गया तो हर खेत, जंगल और गांव में इसके पौधे बहुतायत से लगाए गए. ये तेज़ी से बढ़ता था और लकड़ी का अच्छा साधन होने की वजह से गरीबो की आय बढ़ाने का काम करता था. लेकिन कुछ समय बाद इसे बदनाम किया जाने लगा कि ये तो दलदली ज़मीनो का पौधा है. ज़मीन से अधिक मात्रा में पानी सोख लेता है. खेत बंजर हो रहे हैं.
यूकेलिप्टस में चिपचिपा सुगंधित तेल पाया जाता है. इसकी पत्तियों से ये तेल निकला जाता है और दवाओं में प्रयोग होता है. इसकी सुगंध लोगों को अच्छी लगती है. कुछ लोग इसे इलाइची जैसी सुगंध समझते हैं.
ये एक नेचुरल माउथ फ्रेशनर है. टूथपेस्ट, माउथ वाश में और मंजन में मिलाया जाता है. ये जीवाणु  और फफूंदी  नाशक है.
कॉमन कोल्ड और ज़ुकाम में प्रयोग की जाने वाली बाम का ये एक विशेष अव्यव है. सीने और माथे पर लगाने से बाम वाष्पित होती है और इसकी सुगंध नाक से अंदर जाकर सर्दी ज़ुकाम में राहत दिलाती है.
यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल बाजार में उपलब्ध है. इसका प्रयोग किसी तेल जैसे जैतून के तेल में मिलाकर मच्छर दूर रखने के लिए किया जा सकता है. ये तेल हाथ पैर में लगा लेने से मच्छर पास नहीं आते.
मुंह की दुर्गन्ध दूर करने के लिए और दांतो और मसूढ़ों से जीवाणु  दूर रखने के लिए माउथ वाश के रूप में एक कप पानी में एक से दो बूंद यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल और एक बूंद पिपरमिंट आयल की ,अच्छी तरह मिलकर माउथ वाश करने से दुर्गन्ध से मुक्ति मिलती है.
घरेलु इस्तेमाल के लिए अगर यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल बनाना हो तो यूकेलिप्टस की पत्तियों को थोड़ा सा कुचलकर कांच के जार में डाल दें और पत्तियों के वज़न से दो गुना जैतून का तेल या तिल का तेल जार में ऊपर से डाल कर अच्छी तरह उसका मुंह बंद करके किसी गर्म कमरे में दो से तीन दिन रखा रहने दें. फिर अच्छी तरह फ़िल्टर कर शीशी में रख लें. इस तेल को मच्छर भगाने, जोड़ो के दर्द, और सर्दी ज़ुकाम में लगाने में प्रयोग कर सकते हैं.
यद् रखे यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल एक बाहरी प्रयोग की दवा है. इसको खाने में कदापि प्रयोग न करे, स्वास्थ्य को गम्भीर हानि हो सकती है.

गुरुवार, 27 सितंबर 2018

मेट्रोनिडाज़ोल कैंसर-कारक है ?

मेट्रोनिडाज़ोल एक ज़बरदस्त एंटीबायोटिक दवा है. इसे इंफेक्शन को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल की जाती है. ये जीवाणुओं को नष्ट करती है लेकिन वाइरस को नष्ट नहीं कर सकती. ये दवा, पेट के इंफेक्शन या संक्रमण में बहुत ज़्यादा इस्तेमाल के जाती है. 

बहुत से लोग ब्रांड नाम फ्लैजिल के नाम से इस दवा से परिचित हैं और इसकी गोली हमेशा जेब में रखते हैं. जब भी पेट ख़राब होने का डर हुआ फ़ौरन गोली खाली. ऐसे लोग जिनका पेट अक्सर ख़राब रहता है, पेचिश, दस्त के रोगी हैं वह बरसो से बिना कोई परवाह किये मेट्रोनिडाज़ोल की गोलियां खा रहे हैं.
ये दवा जेनरिक या ब्रांड नाम से आसानी से उपलब्ध है. इसे पेट, योनि, तवचा, जोड़ों आदि के जीवाणु संक्रमण के लिए प्रयोग किया जाता है. बच्चों को भी दस्त और पेट के संक्रमण में ये दवा सीरप के रूप में इस्तेमाल कराई जाती है.
लेकिन ये दवा चूहों पर प्रयोग की गयी तो इसे कैंसर-कारक यानि कैंसर पैदा करने वाली दवा पाया गया. इसलिए कानूनी तौर पर मेट्रोनिडाज़ोल की टेबलेट के पत्ते, सीरप की शीशी पर चेतावनी लिखी जाती है कि मेट्रोनिडाज़ोल को चूहों में कैंसर-कारक पाया गया  है अतः इस दवा का अनावशयक प्रयोग न किया जाए. लेकिन फिर भी ये दवा एक बहुत आम दवा की तरह उपयोग में लायी जा रही है. 

रविवार, 23 सितंबर 2018

बदबूदार पौधा पंवाड़

पंवाड़ बरसात में उगने वाला पौधा है. इसमें से अजीब सी दुर्गन्ध आती है. ये सड़कों के किनारे और खाली पड़े स्थानों में ऊगा हुआ मिल जाएगा. इसमें पीले रंग के फूल आते हैं और लम्बी लम्बी फलियां लगती हैं. सूख जाने पर फलियां चटक जाती हैं और उनके बीज बिखर जाते हैं.
इसको पंवाड़, पमडुआ, आदि नामो से जाना जाता है. अंग्रेजी में इसे फीटिड कैरिया और कैशिया टोरा कहते हैं. अंग्रेजी के दोनों नाम भी दुर्गन्धयुक्त पौधे की तरफ इशारा करते हैं.
इसके बीजों की गिरी का पाउडर इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर प्रयोग होता है. इससे बना पंवाड़ का गोंद या कैशिया टोरा गम खाने की चीज़ों में, कुत्ते, बिल्ली के फ़ूड में इस्तेमाल किया जाता है. कैशिया टोरा गम जेल के रूप में और बाइंडर के रूप में इस्तेमाल होता है. आइसक्रीम में मिलाने पर ये पानी को क्रिस्टल  में जमने नहीं देता और आइसक्रीम को एक चिपचिपा रूप देता है.
पंवाड़ जीवाणु नाशक और फफूंदी नाशक है. इसके बीजों को पीसकर और दही में मिलकर कुछ दिन रख दिया जाता है. इसमें दुर्गन्ध पैदा हो जाती है. इस पेस्ट को त्वचा पर लगाने से खुजली और दाद नष्ट हो जाता  है.
इसके बीजों का पाउडर 2 से 3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ इस्तेमाल करने से त्वचा के रोगों में आराम मिलता है. ये बीज कब्ज़ को भी दूर करते हैं.
पंवाड़ जोड़ों के दर्द में भी लाभकारी है. इसके लिए इसके बीजों के पाउडर का प्रयोग किया जाता है.
पंवाड़ के  पत्ते  फलियां और बीजों की कम्पोस्ट खाद खेतों में डालने से कीड़ा नहीं लगता और फफूंदी की समस्या भी नहीं रहती.
प्राकृतिक कीड़े मार दवा के रूप में पंवाड़ के बीजों का काढ़ा बनाकर, ठंडा करके पौधों पर छिड़कने से कीड़े मर जाते हैं. यदि इस काढ़े में नीम के बीज भी कुचलकर मिला दिये जाएं तो ये बहुत अच्छा कीड़ानाशक बन जाता है.
पंवाड़ का असर बहुत तेज़ होता है. कुछ लोगों को इसके प्रयोग से जी मिचलाना, उलटी, पेट दर्द की शिकायत हो सकती है. इसलिए पंवाड़ के अंदरूनी इस्तेमाल से पहले किसी काबिल हकीम या वैद्य की  सलाह ज़रूरी है. 

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