शनिवार, 14 जुलाई 2018

कबरा

कबरा या केपर बुश एक कांटेदार बेल की तरह फैलने वाली झाड़ी है. ये ढलवां चट्टानों पर उगता है. इसे कम पानी चाहिए होता है. इसे कांटो की वजह से बागो की हिफाज़त के लिए लगाया जाता है.
ये एक दवाई पौधा है. इसके फूल तीन पंखुड़ी के सफ़ेद खिलते हैं दुसरे दिन यही फूल बैगनी रंग के हो जाते हैं.
ये पौधा लिवर की बड़ी औषधि है. लिवर के तमाम विकारों को दूर करने में सक्षम है. इसे पेट के रोगों में गैस से रहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. दवा के रूप में इसके जड़ छाल प्रयोग की जाती है. गुर्दे के रोगों में लाभकारी है. इसके इस्तेमाल से पेशाब अधिक आता है. इस मामले में ये डायूरेटिक का काम करता है.
जलंधर या ड्रॉप्सी के रोग में इसके काढ़े को पीने से लाभ मिलता है.
गठिया के रोगों और जोड़ों की सूजन में भी ये अच्छी औषधि है.
इसकी जड़ की छाल या जड़ का पाउडर 3 से 5 ग्राम तक की मात्रा में दिन में दो से तीन बार लिया जा सकता है. कुछ लोगों में कबरा के इस्तेमाल से पेट दर्द, जी मिचलाना और उलटी की शिकायत हो सकती है. इसका दवाई के रूप में प्रयोग हाकिम या वैध  के बिना नहीं करना चाहिए.   

बुधवार, 20 जून 2018

नागफनी

नागफनी एक कांटेदार पौधा है. ये कैक्टस पौधों  के परिवार से सम्बन्ध रखता है. खली पड़े स्थानों और बंजर और सूखी जगहों पर पाया जाता है. इसे बाग - बगीचों के बाढ़ के तौर पर भी लगाया जाता है.
इसके तने पर जो पत्तियों के आकर का दिखाई देता है गुच्छो में कांटे होते हैं. कुछ कांटे बड़े बड़े और कुछ कांटे बहुत बारीक़ होते हैं जो शरीर में चुभ कर घाव पैदा कर देते हैं. अकाल के ज़माने में जब खाने को कुछ नहीं रहता था लोग इसके फलों को खाकर पेट भरते थे.

 नागफनी स्वभाव से गर्म और खुश्क है. शरीर की चोट और सूजन में इसके पत्तों को कांटे दूर करके, बीच में से फाड़ कर उसमे हल्दी का पाउडर छिड़क कर और थोड़े सरसों के तेल के साथ गर्म करके बांधने से न सिर्फ गुम  चोट का दर्द ठीक  हो जाता है बल्कि अर्थराइटिस के कारण आयी जोड़ो की सूजन और दर्द में भी आराम मिलता है.
इसके फल पक कर गहरे बैंगनी रंग के हो जाते हैं. इनका मज़ा मीठा हो जाता है. इन फलों का रस शकर के साथ पकाकर, सीरप की तरह इस्तेमाल करने से पुरानी  खांसी और अस्थमा के रोग में लाभ मिलता है.
कुछ लोगों को नागफ़नी के पौधे के अंशों को अंदरूनी इस्तेमाल से जी मिचलाना, उलटी होना और अन्य प्रकार  के साइड इफेक्ट हो सकते हैं. इसलिए इसका अंदरूनी इस्तेमाल किसी काबिल हकीम या वैध की देख रेख और सलाह से  ही करना चाहिए.

रविवार, 17 जून 2018

बंदा

बांदा या बंदा एक पैरासाइट हर्ब है. ये आम, बबूल, बरगद, आदि के वृक्षों पर पाया जाता है. ये जिस पेड़ पर होता है उसे के गुण इसमें आ जाते हैं.

आम तौर से बंदा को हड्डी टूटने और हड्डी की चोट में प्रयोग करते हैं. इसकी पत्तियों को पीसकर तेल में पकाकर चोट के स्थान पर लगाने से और हड्डी को सहारा देकर ठीक प्रकार से बांध देने से हड्डी जल्दी जुड़ जाती है.
हड्डी की चोट में और हड्डियों को ताकत देने के लिए बाँदा को पीस कर इसका पाउडर एक से तीन ग्राम की मात्रा में दिन में एक से दो बार दूध के साथ प्रयोग करने से लाभ होता है. इसका अंदरूनी प्रयोग कभी कभी ज़हरीले प्रभाव भी उत्पन्न करता है. इसलिए इसका प्रयोग काबिल हकीम या वैध की निगरानी में ही करना चाहिए.
बांदा में खून  को बंद करने का गुण है. ये मासिक धर्म के अत्यधिक रक्त प्रवाह को नियमित करता है.
बांदा डायूरेटिक है इसका प्रयोग गुर्दे की पथरी को तोड़कर निकल देता है. 

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