रविवार, 7 मई 2017

चौलाई

चौलाई  दो प्रकार की होती है. एक बिना काँटों की और दूसरी कांटेदार चौलाई. जंगली या खुद बी खुद उगने वाली चौलाई सब्ज़ी के रूप में प्रयोग की जाती है. खेतों में बोई जाने वाली चौलाई के पत्ते और पौधे जंगली चौलाई से बड़े होते हैं. इनके पत्तों का रंग ऊपर से हरा और नीचे लाल होता है. एक प्रकार की चौलाई जो बगीचों में सजावटी पौधों के रूप में लगाई जाती है, गहरे लाल या बैगनी रंग की होती है.
चौलाई के सभी वैराइटी खाई जा सकती हैं. लेकिन दो प्रकार की चौलाई ही आम तौर से खाई जाती है. बाजार में मिलने वाली खेतों में उगाई चौलाई और खुद उगने वाली जंगली चौलाई.

चौलाई के पत्तियों का शाक खाया जाता है. इसका मज़ा सीठा फीका होता है. कुछ लोगों को इसका स्वाद अच्छा नहीं लगता. चौलाई खून साफ़ करती है. शरीर से विभिन्न प्रकार के विष और हानिकारक पदार्थों को निकल देती है. ये गुर्दों की सेल को री - जनरेट करती है. जिगर को विषैले पदार्थों से साफ़ करती है.
चौलाई डायूरेटिक या पेशाबआवर है. इसका इस्तेमाल स्किन को कांतिमय बनाता  है.
चौलाई खली पड़ी स्थानों और घास फूस के साथ अप्रैल- मई से लेकर अगस्त-सितम्बर तक पायी जाती है. बरसात में ये खूब फूलती फलती  है. बरसात के दिनों में ये गरीब लोगों का भोजन है. इसमें मिनरल्स और विटामिन की सूक्ष्म मात्रा है. ये किसी भी व्यक्ति या मरीज़ को नुकसान नहीं करती. इसका प्रयोग बिना किसी हिचकिचाहट के किया जा सकता है.  

मंगलवार, 2 मई 2017

सदाबहार

सदाबहार, सदाफूल और सदाफूली एक बहुतायत से पाए जाने वाले पौधे के नाम हैं. ये पौधा बाग़ बगीचों और घरों में सुन्दर फूलों के लिए लगाया जाता है. इसमें हर मौसम में फूल आते हैं. इसलिए इसका नाम सदाबहार पड़ा. इस पौधे को जानवर नहीं खाते इसलिए भी ये बगीचों के किनारे की कियारिओं में लगाया जाता है. इसके फूल आम तौर से दो रंगों के पाए जाते हैं. बैगनी रंग के फूलों वाला सदाबहार और सफ़ेद रंग के फूलों वाला सदाबहार. अंग्रेजी में इस पौधे को पेरीविंकल कहते हैं. ये पौधा एक या बहु वर्षीय होता है. इसको बीज या कटिंग से उगाया जाता है.

डायबेटीस की ये अचूक दवा है. इसमें पाए जाने वाले अल्कलॉइड शुगर को घटाने में मददगार साबित होते है. सदाबहार की सूखी पत्तियां, सूखा करेला, सूखी जामुन की गुठली, मेथी और गुड़मार को बराबर मात्रा में पाउडर बनाकर मिलाकर एक छूटा चमच दिन में तीन बार पानी के साथ लेने से शुगर का लेवल घट  जाता है. साथ में उचित परहेज़ करने से बहुत लाभ होता है.  सदाबहार ब्लड प्रेशर को कम करने में भी लाभकारी है. इस मामले में इसके गुण छोटी चन्दन या राउलफिआ सर्पेन्टीना से मिलते हैं. बेचैनी और ह्यपरटेन्शन को काम करने और ऐसे मरीज़ों में नींद लाने के लिए राउलफिआ सर्पेन्टीना का प्रयोग किया जाता है. राउलफिआ सर्पेन्टीना को पागलों के इलाज के लिए देसी दवा के
रूप में वर्षों से प्रयोग किया जा रहा है. सदाबहार भी ब्लड प्रेशर काम करने और बेचैनी दूर करने में सहायक है.
सदाबहार कैंसर-रोधी भी माना जाता है. इसका काढ़ा कैंसर में लाभकारी होता है. कुछ मरीज़ों में इसके लाभकारी गुण देखे गए हैं.
ज़्यादा मात्रा में इसका इस्तेमाल मिचली, जी घबराना, ब्लड प्रेशर लो होना के लक्षण उत्पन्न कर सकता है. क्योंकि इसमें ब्लड प्रेशर घटाने के गुण  हैं इसलिए कभी कभी इसका अधिक इस्तेमाल ब्लड प्रेशर को बहुत काम कर देता है. जड़ी बूटी होते हुए भी ये ऐसी दवा नहीं है जिसका प्रयोग बिना सोचे समझे  किया जा सके. इसलिए इसका इस्तेमाल किसी जानकार हकीम या वैद्य की निगरानी में होना चाहिए. 

गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

गेंदा

गेंदा एक जाना माना  पौधा है. ये आम तौर से पीले फूलों वाला होता है. लेकिन इसके बहुत सी वैराइटी हैं. ये इकहरे फूल का, दोहरे फूल का और घनी पंखुड़ियों वाले फूल का होता है. रंग भी पीले के अलावा, एग योक यलो, सनसेट येलो और मिक्स कलर में भी पाया जाता है. इसकी ऊंचाई भी भिन्न भिन्न प्रकार की होती है. हाइब्रिड गेंदा सफ़ेद और अन्य कई रंगों में पाया जाता है.

गेंदे के फूल सजावट और फूल मालाओं में काम आते हैं. घरों और बागीचों में भी शोभा के लिए लगाया जाता है. ये वार्षिक पौधा है. देसी वैराइटी के पौधे गर्मी और बरसात में उगाये जाते हैं. जाड़ों के मौसम में इसमें फूल आने लगते हैं. फूल सूख जाने पर इसकी पंखुड़ियों के निचले भाग में पतला और बारीक काले रंग के बीज होते हैं. इन बीजों को ही बरसात में बोया जाता है.
ये एक गंध वाला पौधा है. इसकी गंध बहुत से लोगों को अच्छी नहीं लगती. लेकिन इसमें भी दवाई के गुण  हैं. लेकिन दवाई के रूप में गेंदे को अधिक प्रसिद्धि नहीं मिल सकी.
इसकी गंध के वजह से जानवर इसे नहीं खाते इसलिए ये बागीचों के किनारे लगाया जाता है.
गेंदा कटिंग या कलम से भी हो जाता है. बरसात के मौसम में इसके तने से अनेक जड़ें निकल आती हैं. इसके टुकड़े लगाने से नए पौधे बन जाते हैं. इन पौधों में अच्छे फूल आते हैं.
गेंदा पेशाब की जलन में उपयोगी है. इसके पत्तियों को पीसकर पानी में घोलकर पीने से लाभ होता है.

हैमरॉइड के लिए इसके फूल के पंखुड़ियों को काली मिर्च के साथ सेवन करने से रोग जाता रहता है. एक अन्य फार्मूले के अनुसार गेंदे के फूल की पंखुड़ियां, कुकरौंदे के पत्ते, रसौत और काली मिर्च के साथ गोली बनाकर प्रयोग करने से भी हैमरॉइड में शीघ्र लाभ होता है. गेंदे की पत्तियां पीसकर लगाने से चोट से खून का बहना बंद हो जाता है. इसकी गंघ से मच्छर पास नहीं आते हैं.

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