मंगलवार, 2 मई 2017

सदाबहार

सदाबहार, सदाफूल और सदाफूली एक बहुतायत से पाए जाने वाले पौधे के नाम हैं. ये पौधा बाग़ बगीचों और घरों में सुन्दर फूलों के लिए लगाया जाता है. इसमें हर मौसम में फूल आते हैं. इसलिए इसका नाम सदाबहार पड़ा. इस पौधे को जानवर नहीं खाते इसलिए भी ये बगीचों के किनारे की कियारिओं में लगाया जाता है. इसके फूल आम तौर से दो रंगों के पाए जाते हैं. बैगनी रंग के फूलों वाला सदाबहार और सफ़ेद रंग के फूलों वाला सदाबहार. अंग्रेजी में इस पौधे को पेरीविंकल कहते हैं. ये पौधा एक या बहु वर्षीय होता है. इसको बीज या कटिंग से उगाया जाता है.

डायबेटीस की ये अचूक दवा है. इसमें पाए जाने वाले अल्कलॉइड शुगर को घटाने में मददगार साबित होते है. सदाबहार की सूखी पत्तियां, सूखा करेला, सूखी जामुन की गुठली, मेथी और गुड़मार को बराबर मात्रा में पाउडर बनाकर मिलाकर एक छूटा चमच दिन में तीन बार पानी के साथ लेने से शुगर का लेवल घट  जाता है. साथ में उचित परहेज़ करने से बहुत लाभ होता है.  सदाबहार ब्लड प्रेशर को कम करने में भी लाभकारी है. इस मामले में इसके गुण छोटी चन्दन या राउलफिआ सर्पेन्टीना से मिलते हैं. बेचैनी और ह्यपरटेन्शन को काम करने और ऐसे मरीज़ों में नींद लाने के लिए राउलफिआ सर्पेन्टीना का प्रयोग किया जाता है. राउलफिआ सर्पेन्टीना को पागलों के इलाज के लिए देसी दवा के
रूप में वर्षों से प्रयोग किया जा रहा है. सदाबहार भी ब्लड प्रेशर काम करने और बेचैनी दूर करने में सहायक है.
सदाबहार कैंसर-रोधी भी माना जाता है. इसका काढ़ा कैंसर में लाभकारी होता है. कुछ मरीज़ों में इसके लाभकारी गुण देखे गए हैं.
ज़्यादा मात्रा में इसका इस्तेमाल मिचली, जी घबराना, ब्लड प्रेशर लो होना के लक्षण उत्पन्न कर सकता है. क्योंकि इसमें ब्लड प्रेशर घटाने के गुण  हैं इसलिए कभी कभी इसका अधिक इस्तेमाल ब्लड प्रेशर को बहुत काम कर देता है. जड़ी बूटी होते हुए भी ये ऐसी दवा नहीं है जिसका प्रयोग बिना सोचे समझे  किया जा सके. इसलिए इसका इस्तेमाल किसी जानकार हकीम या वैद्य की निगरानी में होना चाहिए. 

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