शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

ज़मींकंद

ज़मींकंद का पौधा बरसात में उगता है और बरसात गुजरने के बाद सूख जाता है. इसका कंद ज़मीन में रह जाता है. ये एक प्रकार का ट्यूबर है जो गोलाई लिए टेढ़े मेढ़े आकर का होता है. इसका मज़ा बहुत तिक्त और मुंह में जलन डालने वाला होता है.   इसकी सब्ज़ी बनाकर खायी जाती है. इसका स्वाद बहुत ज़्यादा जलन डालने वाला होता है. कि इसका इस्तेमाल करने से पहले इसके टुकड़ों को इमली के साथ उबाला जाता है जिससे इसका स्वाद ज़्यादा तेज़ न रहे. इमली न मिलने पर नीबू के साथ भी उबाल सकते हैं.

जमीकंद स्वाभाव से बहुत गर्म है. गर्म स्वाभाव के लोगों को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसे लोग जो चर्म रोगों से ग्रस्त हों उनको भी ये नुकसान करता है.
जमीकंद खून को पतला करता है. हार्ट के ऐसे मरीजों को जो खून का थक्का बनने की बीमारी से ग्रस्त हैं ये लाभकारी सिद्ध होता है. ब्लड फ्लो बढ़ाने के कारण ये मेंस्ट्रुएशन के दौरान और लाक्टेटिंग वीमेन को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
पेट के अल्सर से ग्रस्त मरीजों को भी ये अल्सर से ब्लीडिंग बढाकर नुकसान कर सकता है.
सर्दी से होने वाले रोगों जैसे अस्थमा, साँस फूलना, ब्लड का गाढ़ा होना, शरीर में वाइटल हीट के कमी में इसका प्रयोग बहुत लाभकारी है.
ये कब्ज़ को दूर करता है. इसका प्रयोग गर्मी के मौसम में न करे. सर्दी के मौसम में भी इसका प्रयोग सावधानी से करने पर ये एक बहुत लाभकारी दवा है.

बुधवार, 28 दिसंबर 2016

भृंगराज

 भृंगराज, एक औषधीय  पौधा है. आम लोग इसे भंगरा  भी कहते हैं. ये काला और सफ़ेद दो प्रकार का पाया जाता है. काले पौधे की शाखें काली होती हैं. इसका फूल सफ़ेद कुछ कालिमा लिए हुए होता है. बालों को बढ़ाने, लंबा और घना करने में इसका बहुत नाम है. आयुर्वेद में माह भृंगराज तैल बालों को बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है.
भंगरा एक जड़ी बूटी के रूप में खाली पड़ी जगहों पर घास फूस के दरम्यान उगता है. इसे पानी और नमी के ज़्यादा आवश्यकता होती है. इसलिए इसके पौधे नालियों के किनारे, ऐसे स्थानों पर जहाँ नमी रहती हो पाये जाते हैं.

इसके फूल छोटे छोटे सफ़ेद होते हैं. फूल सूख जानेपर इसके बारीक बीज गिर जाते हैं. इसके पौधे बरसात में आसानी से उगते हैं. वैसे ये साल भर मिल सकता है लेकिन जाड़ों में कमी के साथ पाया जाता है.
जहाँ से बाल उड़ गए हों और चिकने स्थान रह गए हों वहां पर इसके पत्तों को प्याज़ के साथ पीसकर लगाने से बाल दुबारा उग आते हैं. इसकी यही एक अजीब बात बहुत काम की है. भंगरा, आमला, जटामांसी, करि पत्ता और मेंहदी की पत्तियों के पाउडर को तेल में पकाकर उस तेल को छान कर बालों में लगाने से बाल बढ़ते और घने होते हैं.
भंगरा का प्रयोग आँख की दवाओं में भी होता है. इसका काजल बनाकर आँखों में लगाने से आँखें स्वस्थ रहती हैं. काजल बनाने का तरीका ये है कि भंगरा की पत्तियों का रस निकालकर उसमें मुलायम सूती कपडा भिगोकर लपेटकर बत्ती बना ली जाए. बत्तियों के सूख जाने पर उसे तिल  के तेल के दीपक में जलाया जाए और उसकी लौ के ऊपर एक साफ मिटटी का बर्तन इस प्रकार रखा जाए कि बत्ती जलती रहे और उसका धुआं मिटटी के बर्तन में कालक के रूप में जमा होता रहे. बाद में इसी कालक को लेकर थोड़ा सा घी मिलकर पेस्ट के रूप में काजल बनाया जाता है.


मूली

मूली एक सब्ज़ी है जिससे सभी लोग परिचित हैं. मूली के बारे में एक कहावत प्रसिद्ध है: सुबह की मूली अमृत, दिन की मूली मूली और रात की  शूली. मतलब यह है की सुबह को मूली खाना अमृत की तरह फायदेमंद है. दिन में मूली खाना भी गुणकारी है लेकिन रात मो मूली दर्द देने वाली होती है.
मूली खाने को पचाती है लेकिन खुद देर में पचती है. इस खराबी को दूर करने के लिए मूली के पत्ते भी साथ में खाना चाहिए. खाने में मूली और दही का साथ अच्छा नहीं माना जाता कुछ लोगों को पेट में दर्द हो जाता है. मूली का स्वाभाव ठंडा है. ठन्डे  स्वाभाव वालों को मूली का प्रयोग सोच समझ कर करना चाहिए.
मूली का नमक या मूली खार  पेट के दर्द, गैस और गुर्दे की पथरी तोड़ने में कामयाब है.

मूली के पौधे में  खूबसूरत फूल खिलते हैं.  फूल चार पंखुड़ी का होता है. इसमें सरसों की  फलियों के तरह फलियां लगती हैं. ये फलियां सरसों की  फलियों से मोटी होती हैं. क्योंकि मूली का बीज सरसों के बीज से दोगुना बड़ा होता है. इसका बीज बिलकुल गोल नहीं होता बल्कि कुछ चपटा होता है. ये फलियां कच्ची अवस्था में सब्ज़ी बनाकर खायी जाती हैं. इनके फायदे भी वही हैं जो मूली के हैं.
मूली बवासीर में भी फायदा करती है. मूली को शकर लगाकर खाने से बाल मज़बूर होते हैं. और उनका गिरना बंद हो जाता है.
मूली को सिरके में डालकर पका  लिया  जाए तो ये बढे हुए जिगर और बढ़ी हुई तिल्ली के बड़ी दावा बन जाती है.
 मूली के सलाद पर काली मिर्च और नमक छिडककर दोपहर में खाने से बढ़ हुआ पेट काम हो जाता है. लेकिन इसका सेवन नियमित किया जाए और दोपहर के खाने के मात्रा आधी करदी जाए.
मूली जॉन्डिस में भी फायदा करती है. इसकी सब्ज़ी बनाकर खाने से बहुत लाभ होता है.   

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