बुधवार, 28 दिसंबर 2016

मूली

मूली एक सब्ज़ी है जिससे सभी लोग परिचित हैं. मूली के बारे में एक कहावत प्रसिद्ध है: सुबह की मूली अमृत, दिन की मूली मूली और रात की  शूली. मतलब यह है की सुबह को मूली खाना अमृत की तरह फायदेमंद है. दिन में मूली खाना भी गुणकारी है लेकिन रात मो मूली दर्द देने वाली होती है.
मूली खाने को पचाती है लेकिन खुद देर में पचती है. इस खराबी को दूर करने के लिए मूली के पत्ते भी साथ में खाना चाहिए. खाने में मूली और दही का साथ अच्छा नहीं माना जाता कुछ लोगों को पेट में दर्द हो जाता है. मूली का स्वाभाव ठंडा है. ठन्डे  स्वाभाव वालों को मूली का प्रयोग सोच समझ कर करना चाहिए.
मूली का नमक या मूली खार  पेट के दर्द, गैस और गुर्दे की पथरी तोड़ने में कामयाब है.

मूली के पौधे में  खूबसूरत फूल खिलते हैं.  फूल चार पंखुड़ी का होता है. इसमें सरसों की  फलियों के तरह फलियां लगती हैं. ये फलियां सरसों की  फलियों से मोटी होती हैं. क्योंकि मूली का बीज सरसों के बीज से दोगुना बड़ा होता है. इसका बीज बिलकुल गोल नहीं होता बल्कि कुछ चपटा होता है. ये फलियां कच्ची अवस्था में सब्ज़ी बनाकर खायी जाती हैं. इनके फायदे भी वही हैं जो मूली के हैं.
मूली बवासीर में भी फायदा करती है. मूली को शकर लगाकर खाने से बाल मज़बूर होते हैं. और उनका गिरना बंद हो जाता है.
मूली को सिरके में डालकर पका  लिया  जाए तो ये बढे हुए जिगर और बढ़ी हुई तिल्ली के बड़ी दावा बन जाती है.
 मूली के सलाद पर काली मिर्च और नमक छिडककर दोपहर में खाने से बढ़ हुआ पेट काम हो जाता है. लेकिन इसका सेवन नियमित किया जाए और दोपहर के खाने के मात्रा आधी करदी जाए.
मूली जॉन्डिस में भी फायदा करती है. इसकी सब्ज़ी बनाकर खाने से बहुत लाभ होता है.   

अरण्ड

एरण्ड, एरण्डी, अरण्ड, अण्डउआ एक बहु उपयोगी पेड़ है. इसके फल अरंडी या अंडी  कहलाते हैं. अंडी का तेल या कैस्टर आयल कब्ज़ दूर करने के लिए एलोपैथी में बहुतायत से उपयोग किया जाता है. इसके बीज का बाहरी सख्त छिलका ज़हरीला होता है. इसके बीज खाने से ज़हरीला प्रभाव हो सकता है. इसलिए अंडी को बच्चों के पहुँच से दूर रखें.
इसके पत्ते और जड़ जोड़ों के दर्दों में लाभकारी है. विशेषकर घुटने के दर्द में सरसों का तेल गुनगुना करके नामांक के साथ मालिश के जाए और बाद में अरंड का पत्ता आग पर गर्म करके ऊपर से रख कर गर्म पट्टी लपेट दी जाए तो दर्द ठीक हो जाता है.

जोड़ों के पुराने दर्द और गढ़िया के लिए अरंड की जड़ का पाउडर आम्बा हल्दी के पाउडर के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर और पन्नी के साथ पेस्ट बनाकर थोड़ा गर्म करके जोड़ों पार्क लगा दिया जाता है और ऊपर से पट्टी बांच दी जाती है. सुबह को यह लेप छुड़ा दिया जाए और किसी अच्छे दर्द निवारक तेल के मालिश के जाए तो घुटनों के दर्द में बहुत आराम मिलता है.
कब्ज़ के लिए एक से दो चमच अरंड का तेल गर्म दूध में मिलाकर रात को पीने से कब्ज़ दूर होता है.
अस्थमा के दौरे में अरंड के सूखे पत्तों को तम्बाकू के तरह पीने से आराम होता है.
ध्यान रहे के अरंड एक ज़हरीली दावा है इसलिए खाने पीने में इसका प्रयोग किसी जानकार वैध या हकीम के सलाह से ही करना चाहिए.
अरंड के आयल  में विटामिन ई आयल मिलकर त्वचा पर लगाने से झुर्रियां नहीं पड़ती.
अरंड के तेल में शहद के छत्ते वाला असली मोम गर्म करके मिला दें यह एक प्रकार की क्रीम बन जाएगी।  इसे फटी एड़ियों पर लगाने से एड़ियां ठीक हो जाती हैं. और मंहगी क्रीमों से छुटकारा मिल जाता है.

गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

चिड़चिड़ा

चिड़चिड़ा, चिरचिरा, चिरचिटा, ओंगा, एक बहुतायत से पायी जाने वाली जड़ी बूटी के नाम हैं.  इसका दूसरा नाम लटजीरा भी है. इसे अपामार्ग भी कहते हैं. ये ज़हरों को मारने वाला पौधा है. बिच्छू के डांक मारने पर इसकी जड़ को पीसकर कागने से और इसकी पत्तियों का रास पिलाने से ज़हर का असर दूर होता है और दर्द और जलन में कमी आजाती है.
इसके बीज कांटेदार  होते हैं. एक लंबी शाखा पर बीज लगे होते हैं. ये बीज काँटों के कारण किसी भी जीव के जो इसके संपर्क में आता है चिपक जाते हैं. इस प्रकार ही इसके बीजों का फैलाव दूर दूर तक हो जाता है.

चिड़चिड़ा एक बहु उपयोगी पौधा है. गुर्दे के पथरी निकालने में इसका खार या नमक उपयोग किया जाता है. खार निकालने के लिए  पौधों को सुखाकर जलाकर राख बना ली जाती है. राख को पानी में घोलकर  पानी को छानकर आग पर सुखा लेते हैं तो बर्तन के तली  में खार बच जाता है. चिड़चिड़ा खार  जौखार, बेर पत्थर को बराबर मात्रा में लेकर मिश्रण बनाकर एक से तीन ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार प्रयोग करने से गुर्दे के पथरी टूटकर निकल जाती है. इसका प्रयोग किसी हकीम या वैदय  की सलाह से ही करना चाहिए. 
इसके बीजों को पीसकर और छानकर चावल के पानी के साथ प्रयोग करने पर खुनी बवासीर में लाभ होता है. चिड़चिड़े की दातून करने से दांत के रोग ठीक होते हैं. 

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