मंगलवार, 8 नवंबर 2016

कुकरौन्दा

कुकरौन्दा, कुकरौंधा या कुकड़छिदि एक ही पौधे के नाम हैं. ये पौधा बरसात के दिनों में बहुतायत से उगता है. इसके पत्ते कासनी के पौधे से मिलते जुलते होते हैं. इसमें एक बहुत तेज़ गंध आती है. जो कुकरौंधे के विशेष गंध है. अपनी गंध की वजह से इसे आसानी से पहचान जा सकता है.
इसके पत्ते रोएंदार होते हैं. पत्तों का रंग गहरा हरा होता है जो कुछ कुछ डार्क ग्रीन रंग कहा जा सकता है. ये पौधा बरसात से जाड़ो भर रहता है. मार्च अप्रैल में सूख जाता है.

इसमें पीले फूल खिलते हैं. फूलों के बाद बीज रूई के रेशों के आकर में हवा में उड़ते हैं. मदार के बीज के रेशे बड़े होते हैं. इसके रेशे छोटे होते हैं. दोनों के बीजों का बिखराव हवा के द्वारा रेशों के सहायता से उड़ने से होता है.
यह पौधा बरसात में उगकर मार्च अप्रैल तक रहता है. गर्मी आने पर सूख जाता है और इसके बीज बिखर जाते हैं. यह बवासीर के बड़ी दवा  है. इसके पौधे को कुचलकर रस निकाल कर उसमें रसौत भिगो दें. रसौत के घुल जाने पर इसे धीमी आंच पर पकाएं और गोलियां बनाकर रख लें. ये गोलियां बवासीर में लाभकारी हैं.
बर्ड  फ्लू में भी कुकरौंदा लाभकारी है. इसके पत्ते पीसकर गोलियां बनाकर खिलाने से पक्षी ठीक हो जाते हैं.
घावों पर इसकी पत्तियों का रस लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं. ये एंटीसेप्टिक का कार्य करता है.




बुधवार, 2 नवंबर 2016

गलगल

गलगल एक बड़ा फल है. ये नीबू की जाति  का पौधा है. इसके फल बड़े बड़े होते है. पौधा बीज और कलम दोनों से  लगाया जाता है. मार्च अप्रैल में इसमें सुगंधित फूल खिलते हैं. कुछ लोगों ने इसका नाम खट्टा भी रखा हुआ है. खट्टे के फूलों की खुशबू बहुत अच्छी होती है. इसे तेलों में डाला जाता है. इके खिलने से सारा बाग़ महक  उठता है.

फूलों के बाद फल लगते हैं. जो कच्चे हरे और पककर पीले पड़ जाते हैं. इनका रंग ओरंज कलर का होता है. लेकिन बहुत खट्टे होते हैं और इनमें रस भी खूब होता है. इसका छिलका बहुत मोटा होता है. रस निचोड़ने के बाद छिलके का अचार बनाया जासकता है. छिलके दो छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर नमक लगाकर धूप में रखने से कुछ दिनों में अचार तैयार हो जाता है.
इसके रस में अजवाइन भिगोकर सुखाले और फिर काला नमक मिलाकर खाने से पेट का दर्द दूर होता है. इसके रस में दानेदार शकर मिलाकर एक अच्छा स्क्रब बन जाता है जो घुटनों और कोहनियों के कालेपन पर रगड़ने से कालापन दूर करता है.
गलगल में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इसका अचार भी बनाया जाता है. अचार छिलके के साथ डाला जाता है और बरसों खराब नहीं होता.
नीबू के रस के जगह इसके रस का प्रयोग किया जासकता है. विशेष तौर से दवाओं को भावना देने में इसका प्रयोग किया जाता है.
गलगल का रस नीबू के जगह प्रयोग किया जाता है. इसका इस्तेमाल दांतों को मज़बूत करता है. नियमित इस्तेमाल नज़ला  ज़ुकाम  से बचाता है. इसमें कैंसर रोधी गुण भी हैं. नियमित इस्तेमाल से लिवर को सुरक्षित रखता है और कैंसर की कोशिकाओं को जन्म नहीं लेने देता.

सुगन्धित हेयर आयल बनाने के लिए धोए हुए तिलों को खट्टे के फूलों में बसाया जाता था. तिलों के एक लेयर कपडे पर डालकर उसपर खट्टे के फूलों के एक लेयर डाल दी जाती थी. फिर एक हलकी चादर ऊपर से डालकर तिलों के दूसरी लेयर फिर खट्टे के फूलों की लेयर. शाम को फूल अलग कर दिए जाते थे सुबह पुनः यही प्रक्रिया नए फूलों के साथ दोहराई जाती थी. तिलों के खूब सुगन्धित हो जाने के बाद उसका तेल निकल जाता था जो बहुत सुगन्धित और ठंडक देने वाला होता था.
घर पर सुगन्धित तेल बनाने के लिए तिलों का शुद्ध तेल लेकर एक कांच के जार में दाल दें और उसमे खट्टे के फूल दाल दें. दो दिन धूप  में रखने के बाद फ़िल्टर करके फूल निकाल दें. यही प्रक्रिया चार पांच बार दोहराये. तेल बहुत सुगन्धित बन जायेगा. ये तेल गर्मी जनित रोगों को दूर करता है. इसके लगाने से सर में शीतलता बानी रहती है. ठन्डे स्वाभाव के लोग इस्तेमाल न करें.

इसका छिलका मोटा होता है. छिलके का अचार भी बनाया जाता है. ये विटामिन सी से भरपूर होने के कारण सर्दी जुकाम नहीं होने देता. लेकिन खट्टे स्वाभाव के कारण जारी जुकाम में हानिकारक है.



मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016

कन्फेडरेट गुलाब

कन्फेडरेट गुलाब या कॉटन गुलाब एक एक अजीब हर्ब है. ये सुन्दर सफ़ेद, गुलाबी और लाल रंग के बड़े बड़े गुलाब जैसे फूलों से पहचाना जाता है. इसके फूल रंग बदलते हैं. यही इसकी अजीब बात है. ये चीन का पौधा है और अब पूरी दुनिया में फैल चूका है. इसके पौधे का नाम अमेरिका की देन है. ये अमरीका की कॉन्फेडरेट स्टेट में बहुतायत से पाया जाता था. ये राज्य वे थे जो गुलाम थे और इन सात राज्यों ने मिलकर एक  कन्फेडरेशन बनाया था. ये सात गुलाम राज्य थे - साउथ  कारोलिना, मिसिसिपी, अलबामा, फ्लोरिडा, जार्जिया, लौसियाना और और टेक्सास. इन राज्यों ने नवम्बर 1860 में अमरीका से अलग होने की घोषणा की. इन राज्यो में काटन की खेती बहुतायत से होती थी. इस पौधे का नाम वहां से कन्फेडरेट गुलाब, और कॉटन गुलाब पड़ गया. ये हिबिस्कस फॅमिली का पौधा है. और हिबिस्कस मुटाबिलिस के नाम से जाना जाता है.

इसका फूल सफ़ेद  रंग में खिलता है. दोपहर तक गुलाबी रंग बदलता है और शाम तक लाल हो जाता है.

 एक ही पौधे में दो तीन तरह के फूल दिखाई देते हैं. इसके फूल आखिर सितम्बर में खिलने शुरू हो जाते हैं. इसके फूलों का खिलना जाड़ों के आने का संकेत देता है. ये पांच से पंद्रह फुट की ऊंचाई तक बढ़ सकता है. इसकी डालियाँ कमज़ोर होती हैं. फूल खिलने के बाद इसके गोल गोल बीज लगते हैं जो कवर में बंद होते हैं. इन बीजों से नये पौधे उगते हैं.
ये कलम से भी लगाया जा सकता है. इसके फूलों के जोशान्दे का इस्तेमाल खांसी और बलगम निकलने में किया जाता है. दवाई के रूप में अभी इसका ज़्यादा प्रचलन नहीं है. इसका स्वभाव ठंडा और तर है. इसका रस और म्यूसिलेज इजी पर्च्यूरीशन में प्रयोग होता है.
ये एक सुन्दर और फूलों का रंग बदलने के कारण अजीब पौधा है. बगीचों की सुंदरता बढ़ता है.

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