केबू का पौधा वार्षिक पौधों की श्रेणी में आता है. इसके नये पौधे कंद से निकलते हैं. गर्मी के मौसम मई - जून में नमी मिलने पर कंद से इसका पौधा निकलता है. इसकी पत्तिया चक्राकार में व्यवस्थित होती हैं. इसमें सफ़ेद रंग के फूल आते हैं जो घंटी के आकर के होते हैं लेकिन मुड़े हुए होते हैं जैसे घंटी को किसी ने बीच में से मोड़ दिया हो.
इसका स्वाभाव गर्म है. ज़्यादातर इसकी जड़ प्रयोग की जाती है. हमोराइड के रोग को दूर करने में इसकी जड़ का प्रयोग किया जाता है. ये अत्यंत तीखे स्वाभाव की होने के कारण बिना चबाये पानी से बहुत काम मात्रा में निगल ली जाती है. लेकिन इसका प्रयोग करने से पहले किसी हकीम, वैद्य की सलाह लेना ज़रूरी है.
जड़ अपने तेज़ स्वाभाव के कारण पेट के कीड़ों को मारकर निकल देती है. कुछ लोग इसकी जड़ या कंद को उबाल कर खाते भी हैं. लेकिन इसका प्रयोग कम मात्रा में किया जाता है.
इसका स्वाभाव गर्म है. ज़्यादातर इसकी जड़ प्रयोग की जाती है. हमोराइड के रोग को दूर करने में इसकी जड़ का प्रयोग किया जाता है. ये अत्यंत तीखे स्वाभाव की होने के कारण बिना चबाये पानी से बहुत काम मात्रा में निगल ली जाती है. लेकिन इसका प्रयोग करने से पहले किसी हकीम, वैद्य की सलाह लेना ज़रूरी है.
जड़ अपने तेज़ स्वाभाव के कारण पेट के कीड़ों को मारकर निकल देती है. कुछ लोग इसकी जड़ या कंद को उबाल कर खाते भी हैं. लेकिन इसका प्रयोग कम मात्रा में किया जाता है.
Dear sir
जवाब देंहटाएंPlease hame kebu paudhe ka medicinal uses and botanical name batane ki kripa karen
इसका Botanical Name Costus speciosus है. इसके कंद या राइज़ोम का जूस निकाल कर माथे पर लगाने से सर दर्द में लाभ मिलता है. इसके कंद को पीस कर शकर के साथ दो से तीन ग्राम की मात्रा में रात को सोते समय खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं. कंद को सूखा कर पाउडर बनाले और ये पाउडर सुबह शाम एक से दो ग्राम की मात्रा में पानी के साथ खाने से डायबेटिस में लाभ होता है.
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