बुधवार, 12 सितंबर 2018

शहद से नुक्सान

एक मज़दूर को एक दिन काम नहीं मिला. उसके बच्चे भूखे थे. काम की तलाश में गांव में इधर उधर घूम रहा था. उसने देखा की एक बड़े आम के पेड़ पर मक्खियां भिनभिना रही हैं. वह देखता रहा तो बात उसकी समझ में आ गयी. आम का पेड़ बहुत पुराना था और उसकी शाखा में एक गहरी खोह थी जिसमें शहद की मक्खियां आ-जा रही थीं. वह समझ गया की इसके अंदर ज़रूर शहद की मक्खी का छत्ता है.
वह फ़ौरन पेड़ पर चढ़ गया. शहद का छत्ता तोडा. पुराना छत्ता था. बहुत शहद निकला. वह खुश हो गया. चलो बच्चो के लिए स्वास्थ्यवर्धक शहद मुफ्त में हाथ आया.
उस दिन दोपहर में पूरे परिवार ने खूब शहद खाया. असली शहद था. ऐसा कहां मिलेगा. खाले  बेटा पेट भरके. उसने अपने मासूम बेटे से बोला
खाकर वे सो गये. सोते में ही उन सब की तबियत बिगड़ गयी. उलटी और दस्त से निढाल हो गए. गांव वालों ने अस्पताल में भर्ती कराया.
डाक्टर हैरान की शहद में ऐसा क्या था जिसने नुक्सान किया. शहद तो स्वास्थ्य का रखवाला है. अमृत के सामान है.
जांच की गयी तो पता चला की शहद ज़हरीला था. अब शहद में ज़हर कहां से आया. मक्खियां तो फूलों का रस इकठ्ठा करके शहद बनाती हैं. पता चला कि गांव वाले फसलों पर पेस्टीसाइड का प्रयोग बहुतायत से करते थे. ऐसे ही फूलों से मधु मक्खियों ने शहद बनाया था.....


मंगलवार, 11 सितंबर 2018

अनन्नास का किसान और शराब

एक किसान  अनन्नास की खेती करता  था. वह बहुत मेहनत करता. अनन्नास के पौधों की देखभाल करता, उनपर कीड़ेमार दवाई छिड़कता. चार अनन्नास का जूस रोज़ पीता और खुश रहता.
धीरे धीरे उसकी तबियत बिगड़ने लगी. डाक्टरों ने कहा तुम्हारा जिगर यानि लिवर ख़राब है. उसने बड़े अस्पताल में अच्छे डाक्टर से जो लिवर का स्पेशलिस्ट था दिखाया, डाक्टर ने बहुत सरे  टेस्ट कराए. डाक्टरों ने कहा तुम्हें लिवर सिरोसिस है तुम पुराने शराबी हो. शराब का सेवन बंद कर दो नहीं तो ज़िंदगी से हाथ धोना पड़ेंगे.
किसान ने कहा मैंने कभी शराब का सेवन नहीं किया है. मैं केवल अपने खेत के ताज़े अनन्नास का जूस रोज़ाना पीता हूं।  डाक्टर को विशवास नहीं हुआ. उसने एक और टेस्ट लिखा जिससे किसान की बात की सच्चाई पता चले.
टेस्ट पॉज़िटिव आया और पुष्टि हो गयी की ये पुराना  शराबी है.  और बात को झुठला रहा है.
डाक्टर ने उसकी रिपोर्ट सामने रखी और उसकी  पत्नी और बच्चों को बुलाकर पूछा - सच सच बताओ ये शराब पीते हैं या नहीं. ये इनकी ज़िंदगी का सवाल है.
उसकी पत्नी और बच्चों ने भी इंकार किया।
डाक्टर चक्कर में पड़  गया.
किसी दवा का इस्तेमाल तो नहीं करते. डाक्टर ने पूछा.
हां - पत्नी ने कहा ये आयुर्वेदिक दवा दशमूलारिष्ट का सेवन करते हैं जिससे पेट ठीक रहे.
पत्नी ने कहा पहले इनका पेट ठीक रहता था. कुछ दिन से गैस की समस्या हो गयी. ये अनन्नास का जूस पीते थे. गैस बनती थी तो दशमूलारिष्ट पीते थे.
लेकिन दशमूलारिष्ट तो सुरक्षित दवा है. बरसो से लोग इसका सेवन कर रहे हैं. डाक्टर ने कहा.
जब और गहन जांच की गयी तो पता चला कि अनन्नास पर छिड़के पेस्टीसाइड ने उसकी सेहत को बिगाड़ा. इसीसे पेट ख़राब हुआ. दशमूलारिष्ट जैसी दवाओं में अल्कोहोल की मात्रा होती है लेकिन उस मात्रा की कोई माप या डिग्री नहीं है. ये अनकंट्रोल्ड अल्कोहोल वाली दवाई है. किसान लम्बे समय से बिना जाने अल्कोहोल का सेवन कर रहा था जिसने लिवर को डैमेज कर दिया.
सभी दवाएं सुरक्षित नहीं होतीं. और न सबको सूट करती हैं. 


डूबते सूरज का रंग

डूबते सूरज का रंग बाजार की भाषा में सनसेट यलो एफ सी एफ कहलाता है. ये रंग भी टार से बनता है. इसे भी खाने और दवाओं में प्रयोग किया जाता है. इसे E-110 और  FD&C YELLOW 6 भी कहते हैं.

ये रंग खाने को संतरे जैसा रंग देता है. चिकन से बने खाने, चिकन कोरमा, चिकन फ्राई, चिकन रोस्टेड को इसी रंग में खूब लपेटा जाता है जिससे रंग सुन्दर दिखाई दे. पनीर के पकवान जैसे शाही पनीर, पनीर कढ़ाई, पनीर हांड़ी, पालक पनीर में भी खूब मिलाया जाता है.
इसके अलावा नमकीन, स्नैक्स, बिस्किट, और उनमे लगाने वाली क्रीम में भी यही रंग बहुतायत से पाया जाता है. इसी रंग को लाल रंग के साथ मिलकर ब्राउन रंग बनाया जाता है जो चॉकलेट और केक में प्रयोग होता है. सॉफ्ट ड्रिंक और फलों के जूस का भी ये अच्छा रंग है.
टॉनिक, पेट की दवाएं जैसे जेल और टेबलेट में भी ये मिलाया जाता है.
मानक के अनुसार ये रंग खाने की चीज़ों में एक किलो  में 4 मिलीग्राम तक  मिलाया जा सकता है. लेकिन हमारे देश में ये 100 - 200 गुना तक मिला दिया जाता है और इससे फ़ूड पॉइज़निंग होने का खतरा रहता है क्योकि ये इतनी मात्रा में पेट में पहुँचता है जो निर्धारित मानक से कहीं ज़्यादा होती है.
घरों में खाने की चीज़ो में मिलते समय ये नहीं देखा जाता की इसकी मात्रा कितनी है. अधिक से अधिक मात्रा का प्रयोग घरेलु महिलाओं द्वारा, हलवाइयों द्वारा मिठाइयों में किया जाता है.
ये रंग भी एलर्जी पैदा कर सकता है और ये भी कहा जाता है की इसमें ऐसा कुछ नहीं है जो कैंसर को जन्म दे.
इसलिए घबराने की कोई बात नहीं लेकिन आप वह चीज़ें क्यों खा रहे हैं जो खाने की नहीं हैं ?  

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