कुकरमुत्ता को टोडस्टूल और मशरूम कहते हैं. ये एक प्रकार की फफूंद या फंगस है. गीले और नम स्थानों में उगता है. बरसात में कूड़े कचरे के ढेरों और पेड़ो की छाल पर उगता है. बरसात में ये बहुतायत से पाया जाता है.
बाजार मेंमशरूम के नाम से मिलता है. इसका सबसे प्रसिद्ध प्रकार बटन मशरूम है जो बहुतायत से सब्ज़ी के रूप में खाया जाता है. सब्ज़ी खाने वाले इसे सब्ज़ी - खोरों का मीट कहते हैं. लेकिन न ये मीट है न सब्ज़ी बल्कि ये एक फफूंद है.बरसात में लोग जंगलों और खाली पड़े स्थानों पर मशरूम की तलाश में निकल जाते हैं. इसका एक प्रकार खुम्बी या भुइं -फोड़ भी है. खुम्बी मशरूम की शाखा लम्बी और कैप गोल छोटी सी, घुण्डीदार होती है. ये भी बरसात में सब्ज़ी की दुकानों पर मिल जाती है. ये मशरूम ज़मीन को फोड़ कर उगता है. लोगों में भ्रान्ति है की जब बरसात में बिजली कड़कती है तो ये मशरूम पैदा होता है. लेकिन ये केवल भ्रान्ति ही है. सभी मशरूम बहुत सूक्ष्म बीज या स्पोर से उत्पन्न होते हैं.
मशरूम का सेवन डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है. मशरूम ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखता है. ये दिल को रोगो के लिए भी लाभकारी है.
शरीर का कांपना, स्नायु तंत्र की कमज़ोरी, धमनियों का मोटा पड़ना, और भूलने के बीमारी में मशरूम का नियमित इस्तेमाल लाभ करता है.
मशरूम के इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ये कैंसर से बचाव करता है.
इसकी बहुत सी वैराइटी खायी जा सकती हैं. जो लोग जंगलों में मशरूम की खोज करते हैं वे कभी कभी जानकारी न होने के कारण ज़हरीले मशरूम भी ले आते हैं. ऐसे मशरूम को खाकर भयानक बीमारियां हुई हैं और कभी कभी जान भी चली गयी है.
ये भी कहा जाता है की मशरूम देखने में जितना रंगीला, ख़ूबसूरत और चटकीले रंग वाला, चित्तीदार, या बहुत भयानक आकर, प्रकार का होता है उतना ही ज़हरीला होता है. बिना जाने समझे मशरूम का सेवन जानलेवा साबित हो सकता है.
बाजार में मिलने वाले मशरूम भी कभी कभी फ़ूड पॉइज़निंग का कारण बन जाते हैं. कुछ लोगों को मशरूम से एलर्जी होती है. ऐसे लोगों को मशरूम का सेवन उचित नहीं.